
क्या अंतर है जैविक और प्राकृतिक खाने में ? जाने असली मायने
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आजकल जैविक (Organic) और प्राकृतिक (Natural/Prakritik) खाना लोगों के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके पीछे कई अहम कारण हैं, जो लोगों की सेहत, पर्यावरण, और जीवनशैली से जुड़े हुए हैं।
सेहत के प्रति बढ़ती जागरूकता
- लोग अब समझने लगे हैं कि रसायन, कीटनाशक और मिलावट वाला खाना लंबे समय में बीमारियों का कारण बनता है।
- जैविक और प्राकृतिक खाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है और शरीर को मजबूती देता है।
बीमारियों की बढ़ती संख्या
- डायबिटीज, कैंसर, मोटापा, हॉर्मोनल समस्याएं जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
- इसका एक बड़ा कारण प्रोसेस्ड और मिलावटी खाना है।
- इसलिए लोग अब सही और शुद्ध भोजन की ओर लौट रहे हैं।
बिना रसायन और कीटनाशक के खाना
- जैविक खेती में कोई केमिकल खाद या कीटनाशक नहीं डाला जाता, जिससे खाना ज़हरीला नहीं होता।
- प्राकृतिक भोजन में भी कम से कम मिलावट होती है।
प्राकृतिक स्वाद और शुद्धता
- जैविक और प्राकृतिक खाने का स्वाद और सुगंध बेहतर होती है क्योंकि इसमें कोई कृत्रिम तत्व नहीं होता।
- पुराने समय का देसी स्वाद आज लोग फिर से महसूस करना चाहते हैं।
प्राकृतिक खेती का समर्थन
- जैविक खाने को खरीदने से किसानों की आमदनी भी बढ़ती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
- ये खाद्य उत्पाद धरती, जल और हवा को प्रदूषित नहीं करते।
लॉकडाउन और महामारी के बाद बढ़ा रुझान
- कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को इम्यूनिटी की अहमियत समझ में आई।
- लोगों ने महसूस किया कि प्राकृतिक और पौष्टिक खाना ही असली दवा है।
बच्चों और परिवार की चिंता
- माता-पिता अब बच्चों को जहरीले स्नैक्स से दूर रखना चाहते हैं।
- इसलिए जैविक आटा, दालें, घी, दूध जैसे उत्पादों की मांग बढ़ी है।
जैविक खाना (Organic Food) और प्राकृतिक खाना (Natural Food) में अंतर
जैविक खाना | प्राकृतिक खाना | |
---|---|---|
ऐसा खाना जो बिना किसी रासायनिक खाद, कीटनाशक, या जीएमओ (GMO) के उगाया गया हो |
ऐसा खाना जो कम से कम प्रोसेस किया गया हो और जिसमें कृत्रिम रंग, स्वाद या प्रिज़र्वेटिव न हों | |
जैविक खेती के नियमों के अनुसार उगाया जाता है |
सामान्य खेती हो सकती है, रसायनों का प्रयोग कम हो सकता है लेकिन पूरी तरह निषिद्ध नहीं |
खेती का तरीका -
विषय | जैविक खाना | प्राकृतिक खाना |
---|---|---|
खाद | गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली, जैविक खाद | सामान्य खाद या कभी-कभी रासायनिक खाद भी इस्तेमाल हो सकती है |
कीटनाशक | घरेलू और जैविक उपाय (नीम तेल, गोमूत्र) | कुछ हद तक रासायनिक कीटनाशक उपयोग में लिए जा सकते हैं |
बीज | देशी बीज, नॉन-GMO | हाइब्रिड या GM बीज भी हो सकते हैं |
प्रमाणपत्र -
विषय | जैविक खाना | प्राकृतिक खाना |
---|---|---|
प्रमाणपत्र जरूरी? |
हाँ, जैसे "जैविक भारत", NPOP, USDA Organic आदि |
नहीं, कोई प्रमाणपत्र जरूरी नहीं |
"Organic" "Jaivik" लिखा हो |
तभी लिखा जा सकता है जब प्रमाणपत्र हो |
"Natural" कोई भी ब्रांड बिना प्रमाणपत्र के लिख सकता है |
प्रोसेसिंग -
विषय | जैविक खाना | प्राकृतिक खाना |
---|---|---|
प्रोसेसिंग | बहुत कम प्रोसेसिंग, कोई कृत्रिम मिलावट नहीं | कम प्रोसेसिंग हो सकती है, पर मानक तय नहीं होते |
रंग, स्वाद, प्रिज़र्वेटिव | पूरी तरह से निषिद्ध | कई बार डाले जाते हैं, खासकर बड़े ब्रांड में |
कीमत और उपलब्धता -
विषय | जैविक खाना | प्राकृतिक खाना |
---|---|---|
कीमत | थोड़ा महंगा (क्योंकि खेती महंगी है और प्रमाणपत्र भी लगते हैं) | थोड़ा सस्ता या मध्यम दर |
कहाँ मिलेगा? | ऑर्गेनिक स्टोर, ऑनलाइन, किसानों से सीधे | सामान्य किराना दुकानों या लोकल बाजार में भी |
स्वास्थ्य पर प्रभाव -
विषय | जैविक खाना | प्राकृतिक खाना |
---|---|---|
सेहत के लिए | अधिक सुरक्षित, क्योंकि रासायन, हार्मोन, GMO नहीं होते | अच्छा हो सकता है, लेकिन 100% सुरक्षित नहीं माना जा सकता |
लंबे समय तक उपयोग | सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक | थोड़ा बेहतर विकल्प, पर पूरी तरह सुरक्षित नहीं |
भारत में लोगों को जैविक प्रोडक्ट्स पर भरोसा क्यों नहीं होता ?
नकली जैविक उत्पादों की भरमार
- मार्केट में "जैविक" (Organic) का नाम सिर्फ दिखावे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
- बहुत सारे उत्पादों पर “Organic”, “Natural”, “Desi” जैसे शब्द बिना किसी प्रमाणपत्र के लिखे होते हैं।
प्रमाणपत्र (Certification) की जानकारी की कमी
- अधिकतर उपभोक्ताओं को यह जानकारी नहीं होती कि जैविक उत्पादों के लिए सरकार द्वारा प्रमाणित Jaivik Bharat, NPOP, USDA Organic जैसी मुहर ज़रूरी है।
- बिना जानकारी के वे हर उत्पाद को एक जैसा मान लेते हैं और शक करते हैं।
उत्पाद महंगे लगते हैं
- जैविक प्रोडक्ट्स की कीमत सामान्य प्रोडक्ट्स से थोड़ी ज़्यादा होती है।
- लोग सोचते हैं: “इतना महंगा, क्या सच में जैविक है या सिर्फ ब्रांड का नाम है?”
सरकार की निगरानी की कमी
- स्थानीय बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर नकली जैविक उत्पाद बेचे जा रहे हैं, लेकिन उन पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं होती।
- इससे ग्राहकों को लगता है कि "जैविक" सिर्फ एक प्रचार शब्द है।
पैकिंग तो ब्रांडेड है, पर अंदर क्या है?
- लोग अक्सर शक करते हैं कि अंदर वही सामान्य दाल, आटा, चावल भर कर सिर्फ जैविक नाम से बेचा जा रहा है।
- विशेषकर जब स्थानीय दुकानों या बिना प्रमाणपत्र वाली वेबसाइटों से खरीदा जाता है।
शुद्धता दिखती नहीं, स्वाद या रंग से पहचान नहीं होती
- जैविक और गैर-जैविक उत्पाद देखने में अक्सर एक जैसे लगते हैं।
- लोग कहते हैं, "स्वाद भी वही है, तो क्या फ़र्क ? "
जानकारी और शिक्षा की कमी (Awareness Gap)
- ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में लोग जैविक खेती और जैविक उत्पादों के लाभों से परिचित नहीं हैं।
- उन्हें लगता है कि ये सिर्फ "फैशन" या "बड़े लोगों की चीज़" है।
कैसे पहचाने जैविक उत्पाद ?
भारत में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने के साथ ही नकली जैविक प्रोडक्ट भी बाज़ार में आने लगे हैं। ऐसे में आम उपभोक्ताओं के लिए यह समझना जरूरी हो गया है कि कोई उत्पाद सच में जैविक है या सिर्फ नाम के लिए "Organic" लिखा गया है। सबसे पहले किसी भी जैविक उत्पाद को पहचानने के लिए उसके प्रमाणपत्र (certification) को देखना चाहिए। भारत सरकार द्वारा प्रमाणित उत्पादों पर Jaivik Bharat, NPOP Certified, या PGS-India Organic जैसे लोगो होते हैं। यदि पैकेजिंग पर इनमें से कोई लोगो या प्रमाणपत्र नहीं है, तो उस उत्पाद को जैविक मानना मुश्किल है।
इसके अलावा, लेबल को ध्यान से पढ़ें। "100% Organic", "Certified Organic", "GMO-Free", "No Chemicals Used" जैसे शब्दों के साथ यदि कोई प्रमाण नहीं दिया गया हो, तो सतर्क रहें। असली जैविक ब्रांड अक्सर अपने उत्पाद पर QR कोड लगाते हैं, जिसे स्कैन करके आप देख सकते हैं कि यह उत्पाद कहां उगा, किस किसान ने उगाया, किस तारीख को प्रोसेस हुआ और क्या इसमें किसी भी तरह की मिलावट है या नहीं। यह ट्रैसेबिलिटी सिस्टम उपभोक्ता को विश्वास दिलाता है।
जैविक उत्पादों में अक्सर एक खास तरह की प्राकृतिक खुशबू और देसी स्वाद होता है, और यह ज्यादा चमकीले नहीं होते। हालांकि केवल स्वाद और रंग से पूरी सच्चाई नहीं जानी जा सकती, इसलिए प्रमाणित जानकारी सबसे जरूरी होती है। इसके अलावा, आपको जैविक उत्पाद हमेशा भरोसेमंद ब्रांड या किसान समूह से खरीदना चाहिए, जो पारदर्शिता रखते हैं, प्रमाणपत्र दिखाते हैं और सीधे किसान से उत्पाद लाकर उपभोक्ता को देते हैं।
क्यों जरूरी है स्वस्थ खाना ?
आज के समय में स्वस्थ खाना केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक अनिवार्यता बन चुका है। बदलती जीवनशैली, प्रदूषण, तनाव और मिलावटी खानपान के बीच शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शुद्ध, संतुलित और पोषणयुक्त भोजन अत्यंत आवश्यक है। आज हर उम्र के लोग डायबिटीज, मोटापा, ब्लड प्रेशर, थायरॉयड और दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं, और इनका मुख्य कारण है खराब खानपान। ऐसे में जैविक और प्राकृतिक भोजन शरीर को रासायनमुक्त पोषण देकर रोगों से लड़ने की ताकत देता है। कोविड जैसी महामारी ने यह साबित कर दिया कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कोई दवा नहीं, बल्कि पौष्टिक भोजन सबसे बड़ा इलाज है। घर का बना सादा खाना, मौसमी फल-सब्जियां, बिना मिलावट की दालें, आटा, चावल, देसी घी और ताज़ा दूध जैसे खाद्य पदार्थ न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि मन को भी शांत और ऊर्जा से भरपूर बनाते हैं।
बच्चों की सेहत, वृद्धों की देखभाल और अपने परिवार को बीमारियों से बचाने के लिए हमें रोज़मर्रा के भोजन में शुद्धता और पौष्टिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए। यही कारण है कि आज जैविक खेती और जैविक उत्पादों की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है। ऐसे समय में "ग्रोफार्म" जैसे ब्रांड, जो सीधे किसानों से जुड़े उत्पाद उपलब्ध कराते हैं, उपभोक्ताओं के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनते जा रहे हैं। इसलिए, अगर आप सच में अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो शुद्ध, जैविक और संतुलित भोजन को अपनी थाली में जरूर शामिल करें, क्योंकि जैसा अन्न होगा, वैसा ही तन और मन बनेगा।