
दूध के सबसे बड़े उत्पादक फिर मिलावटी घी बनाने की जरूरत क्यों ?
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भारत दुनिया में देसी घी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। वर्ष 2020 में भारत ने 170 हजार मीट्रिक टन देसी घी का उत्पादन किया, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान है, जिसका घी उत्पादन भारत की तुलना में लगभग आधा है।
देसी घी, जिसे संस्कृत में 'घृत' कहा जाता है, भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। हमारे वेदों में भी गाय के घी का महत्व विस्तार से बताया गया है। घी न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि इसका उपयोग औषधि और पूजा-अर्चना में भी सदियों से होता आया है। आज भी भारतीय गायों का घी, विशेष रूप से बद्री नस्ल की गाय का घी, अपनी उच्च गुणवत्ता और महंगे दामों के लिए प्रसिद्ध है। यह न केवल शरीर को ताकत देता है बल्कि मस्तिष्क को भी सक्रिय बनाए रखने में सहायक होता है।
भारत देसी घी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। वर्ष 2020 में, भारत ने 170 हजार मीट्रिक टन देसी घी का उत्पादन किया, जो विश्व में सबसे अधिक है। अमेरिका, जो दूसरे स्थान पर है, भारत की तुलना में लगभग आधा घी उत्पादन करता है।
हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद में मिलावटी घी का मामला चर्चा का विषय बन गया है। जांच में पाया गया कि मंदिर के लड्डुओं में उपयोग हो रहे घी में पशुओं की चर्बी और फिश ऑयल जैसे अवयव मिले हैं। इस खुलासे ने सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं को आहत किया है और इसे देशभर में आस्था के साथ खिलवाड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस घटना ने न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है।
यह मामला देश के अन्य हिस्सों में भी मिलावटी घी की बढ़ती समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करता है। उत्तर भारत में सस्ते "भंडारे वाले घी" का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह घी दिखने और स्वाद में असली घी जैसा लगता है, लेकिन इसकी कीमत मात्र 120 रुपए प्रति किलो होती है, जो इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, लोग सस्ते घी को पूजा और भंडारों में उपयोग कर वाहवाही लूटते हैं, जबकि असली देसी घी 1200-1500 रुपए प्रति किलो तक बिकता है।
एक समय, आगरा के पास छलेसर इलाके में प्रशासन ने भट्टियों पर पशुओं की हड्डियां उबालकर चर्बी निकालने वाले एक माफिया को पकड़ा था। विशेषज्ञों के अनुसार, इस चर्बी को परिष्कृत कर उसमें घी का एसेंस मिलाकर मिलावटी घी तैयार किया जाता है। ऐसा घी बाजार में सस्ते "देसी घी" के नाम पर बेचा जाता है। यह मिलावटखोरी उत्तर प्रदेश के कानपुर से मुजफ्फरनगर और अन्य राज्यों तक फैली हुई है।
ब्रांडेड घी निर्माता कंपनियां स्वचालित प्लांटों में घी तैयार करती हैं, लेकिन उनके घी की कीमतें सस्ती नहीं होतीं। इसके विपरीत, स्थानीय बाजारों में जो सस्ता घी मिलता है, उसमें गड़बड़ी की पूरी संभावना रहती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या हम देसी घी के नाम पर ऐसी सामग्री का सेवन कर रहे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और विश्वास दोनों के लिए हानिकारक है?
इसलिए, देसी घी का सेवन करते समय उसकी शुद्धता पर विचार करना और जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है
क्रेडिट - गांव कनेक्शन